ओझल भ्रम

रहेगी दुनिया यही... भ्रम का कहना
खुद में होके, भ्रम में होके
असल लगे... जीले उतना उतना...
और औरों से होके, उनका जो मिले
मिलाके उसे, खुद को बुनना
धीरे धीरे अपनी एक डोर बन जाएगी
भ्रम में ही सही जिन्दगी....... कुछ तो कह जाएगी ।

डर भी हरदम साथ रहता है
कभी किसी से अपने आप लगता है
स्वयं की परिभाषा कम पड़ जाती है
डर उसी कमी की छाप चढ़ता है
सुखा रंग पानी में मिलके जैसे चढ़ आये
ऐसा ही कुछ सुखा मन के कोने में रह जाये
हल्की सी हवा काफी है... फिर मत सोचो उसे...
बस कोरे मन पर लिखना अब रह जायेगा
लिखना वहां कुछ ऐसे.... तो डर अपने आप उड़ जायेगा ।